भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? (How is the President elected in India?): देशभर के निर्वाचित विधायक राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए 18 जुलाई यानी सोमवार को मतदान करेंगे। भारत में राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज करता है. यानी जनता अपने प्रेजिडेंट का चुनाव सीधे नहीं करती, बल्कि उसके वोट से चुने गए लोग करते हैं. इस चुनाव में सभी प्रदेशों की विधानसभाओं के इलेक्टेड मेंबर और लोकसभा तथा राज्यसभा में चुनकर आए सांसद वोट डालते हैं.

भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? (How is the President elected in India?) 

राष्ट्रपति की ओर से संसद में नॉमिनेटेड मेंबर वोट नहीं डाल सकते. वहीं राज्यों की विधान परिषदों के सदस्यों को भी वोटिंग का अधिकार नहीं है, क्योंकि वे जनता द्वारा चुने गए सदस्य नहीं होते. इस वोटिंग में विधायक हिस्सा लेते हैं. हर राज्य के विधायक के मत का मूल्य अलग-अलग होता है.

विधायकों के मूल्य की राज्यवार स्थिति

जैसे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के विधायकों का मत मूल्य सबसे अधिक होता है, तो सिक्किम (Sikkim) के विधायकों का मत मूल्य सबसे कम होता है. वहीं सांसदों का मत मूल्य विधायकों के मूल्य से कहीं अधिक 700 होता है. उत्तर प्रदेश के 403 विधायकों में से प्रत्येक का मत मूल्य 208 है, यानी उनका कुल मूल्य 83,824 है. तमिलनाडु और झारखंड के प्रत्येक विधायक का मत मूल्य 176 है।

महाराष्ट्र काे विधायक का मूल्य 175, बिहार का 173 और आंध्र प्रदेश के प्रत्येक विधायक का मत मूल्य 159 है. इसी तरह तमिलनाडु की

234 सदस्यीय विधानसभा का कुल मत मूल्य 41,184 है. वहीं झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा का कुल मत मूल्य 14,256 है. महाराष्ट्र विधानसभा के 288 विधायकों का कुल मत मूल्य 50,400 है और बिहार विधानसभा के 243 सदस्यों का मत मूल्य 42,039 है. वहीं, 175 सदस्यीय आंध्र प्रदेश विधानसभा का कुल मत मूल्य 27,825 है.

भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? (How is the President elected in India?

किस राज्य के कितने मत मूल्य

राज्य प्रत्येक मत मूल्य कुल मत मूल्य
उत्तर प्रदेश 208 83,824
तमिलनाडु 176 41,184
झारखंड 176 14,256
महाराष्ट्र 175 50,400
बिहार 173 42,039
आंध्र प्रदेश 159 27,825
गोवा 20 800
मणिपुर 18 1,080
मेघालय 17 1,020
पुडुचेरी 16 16
सिक्किम 7 224
अरुणाचल प्रदेश 8 480
मिजोरम 8 320
नगालैंड 9 540

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1971 की जनगणना है आधार

किसी विधायक का मत मूल्य 1971 की जनगणना के अनुसार उस राज्य की कुल आबादी के आधार पर गिना जाता है. छोटे राज्यों में सिक्किम के प्रत्येक विधायक का मत मूल्य सात है. इसके बाद अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम का मत मूल्य आठ-आठ, नगालैंड का नौ, मेघालय का 17, मणिपुर का 18 और गोवा का मत मूल्य 20 है. केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के एक विधायक का मत मूल्य 16 है.

सिक्किम में 72 सदस्यीय विधानसभा का कुल मत मूल्य 224, मिजोरम विधानसभा में 40 सदस्यों का मत मूल्य 320, अरुणाचल प्रदेश के 60 विधायकों का मत मूल्य 480, नगालैंड के 60 सदस्यों का मत मूल्य 540, मेघालय के 60 सदस्यों का मत मूल्य 1,020, मणिपुर विधानसभा के 60 सदस्यों का मत मूल्य 1,080 और 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा का मत मूल्य 800 है.

कम हुआ सांसदों के मत का मूल्य

वहीं, संसद के एक सदस्य का मत मूल्य 708 से घटाकर 700 कर दिया गया है क्योंकि जम्मू कश्मीर में अभी कोई विधानसभा नहीं है. राष्ट्रपति चुनाव में किसी सांसद का मत मूल्य राज्य विधानसभाओं और दिल्ली, पुडुचेरी तथा जम्मू कश्मीर समेत केंद्र शासित प्रदेशों में निर्वाचित सदस्यों की संख्या के आधार पर तय होता है. राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचन मंडल में लोकसभा, राज्यसभा के सदस्य तथा राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के सदस्य शामिल होते हैं.

अगस्त 2019 में लद्दाख और जम्मू कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित होने से पहले जम्मू कश्मीर राज्य विधानसभा की 83 सीटें थीं. जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में विधानसभा होगी जबकि लद्दाख पर केंद्र सरकार का शासन होगा.

सांसदों को हरे और विधायक को मिलता है गुलाबी मतपत्र

सांसदों को हरे रंग और विधायकों को गुलाबी रंग का मतपत्र दिया जाता है. उन्हें विशेष पेन भी दिए जाते हैं, जिसका उपयोग वे अपने वोट रिकॉर्ड करने के लिए करते हैं. राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान मतपत्र पर सभी उम्‍मीदवारों के नाम होते हैं और वोटर अपनी वरीयता को 1 या 2 अंक के रूप में उम्‍मीदवार के नाम के सामने लिखकर वोट देता है. ये अंक लिखने के लिए चुनाव आयोग पेन उपलब्‍ध कराता है. यदि यह अंक किसी अन्‍य पेन से लिख दिए जाएं तो वह वोट अमान्‍य हो जाता है. वोटर चाहे तो केवल पहली वरीयता ही अंकित कर सकता है, सभी उम्‍मीदवारों को वरीयता देना जरूरी नहीं होता है.

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