Side Effect of Ukraine and Russia war: यूक्रेन व रसिया के बीच जारी युद्ध मक्का बाजार को लगातार मजबूती प्रदान कर रहा है। दोनों देशों के बीच चल रहे बम ने मक्के में भरपूर दम भर दिया है।

Side Effect of Ukraine and Russia War

लगातार दूसरे माह भी मक्का की कीमत 2250 रुपये प्रति क्विंटल के पार है। यह स्थिति किसानों के साथ व्यसायियों के लिए भी फील गुड वाला है। कभी हीराबाई (कभी गुलाबबाग मेले में आने वाली नर्तकी का नाम) की धुन पर थिरकने वाली उत्तर बिहार

की सबसे बड़ी गल्ला मंडी गुलाबबाग फिलहाल मक्के के धुन पर थिरक रही है।

निर्यात की बढ़ी संभावना ने दी है बाजार को उड़ान

मंडी के व्यवसायियों के अनुसार इस बार भारत से दूसरे देशों में मक्का के निर्यात की बढ़ी संभावना ने बाजार को उछाल दिया है। व्यवसायियों के अनुसार यूक्रेन व रुस गेहूं के साथ मक्का का बड़ा निर्यातक देश है। इधर दोनों देशों के बीच जारी युद्ध से इस बार मक्का निर्यात की संभावना वहां क्षीण्ण हो गई है। इस चलते इस बार मक्का खरीद में मल्टी नेशनल कंपनी की दिलचस्पी भी बढ़ गई है। मंडी के अलावा मल्टी नेशनल कंपनी ने भी यहां क्रय केंद्र खोल दिए हैं। व्यवसायियों के मुताबिक अभी तक यहां का मक्का भारत के विविध राज्यों के अलावा बांग्लादेश जाता था। अब अन्य देशों में भी मक्का जाने की संभावना बनी है। यहां मल्टी नेशनल कंपनियों ने भी बड़े बड़े गोदाम ले रखा है।

औसतन छह हजार टन मक्का रोज पहुंच रहा मंडी

व्यवसायियों के मुताबिक गत दो माह से औसतन हर दिन गुलाबबाग मंडी में पांच से छह हजार टन मक्का पहुंच रहा है। इसके अलावा हरदा, कसबा, जलालगढ़ सहित जिले के कई अन्य स्थानों पर बृहत पैमाने पर मक्का की खरीद हो रही है। पूर्णिया प्रमंडल में पूर्णिया के अलावा कटिहार, अररिया व किशनगंज में भी काफी संख्या में व्यवसायी इसकी खरीद करते हैं। गुलाबबाग में 80 से अधिक गद्दी व्यवसायियों के अलावा दो सौ से अधिक बड़े व्यवसायी मक्का की खरीद करते हैं। पौ फटते ही मंडी में मक्का लदे ट्रकों, ट्रैक्टरों, मिनी ट्रकों सहित अन्य वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। धर्म काटा पर वाहनों की भीड़ उमड़ पड़ती है और गोदामों में माल अनलोड होने लगते हैं।

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दो सौ हजार हेक्टेयर में होती है मक्का की खेती

पूर्णिया प्रमंडल के पूर्णिया, अररिया, कटिहार व किशनगंज में लगभग दो सौ हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है। इसके अलावा समीपवर्ती राज्य पश्चिम बंगाल में भी इसकी अच्छी खेती होती है। खासकर सीमांचल से लगे बंगाल के इलाकों के किसानों व व्यापारियों का गुलाबबाग मंडी से जुड़ाव रहा है।

यूक्रेन व रुस गेहूं व मक्का का बड़ा निर्यातक देश रहा है। इस बार युद्ध से दोनों ही देश के निर्यात में पिछडऩे की प्रबल संभावना है। इस संभावना ने मक्का के बाजार को नई उड़ान दे दी है। निकट भविष्य में भी मक्के की कीमत में गिरावट की उम्मीद नहीं है। स्थानीय स्तर पर अब एथेनाल फैक्ट्री भी एक फेक्टर है। – वीरेंद्र दुग्गल, गद्दी व्यवसायी, गुलाबबाग मंडी।

गत दो वर्ष से मक्का की कीमत काफी कम रही थी। डिमांड में कमी के कारण लंबे समय तक स्टाक के बाद भी इसकी कीमत में मामूली वृद्धि हुई थी। इस चलते व्यवसायियों के लिए भी स्थिति निराशाजनक ही थी। इस बार डिमांड और बढऩे की संभावना से भाव बरकरार है। कई मल्टीनेशनल कंपनी भी यहां मक्का की खरीद कर रही है। – राजेंद्र संचेती, अध्यक्ष, चैंबर आफ कामर्स, पूर्णिया।

तीन साल बाद मक्का का यह रेट मिल रहा है। कोरोना काल में तो मक्का बेचना जंग जीतने के समान हो गया था। मंडी के व्यवसायी भी मक्का देख खूब मीन-मेख निकालते थे। इस बार तो थोड़ा नरम-गरम सबका बढिय़ा भाव मिल रहा है। यह स्थिति निश्चित रुप से किसानों के लिए अनुकूल है। गांव में लोग मक्का के भरोसे बेटी की शादी तय कर रहे हैं। – जोगानंद महतो, मक्का किसान, केनगर।

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