भारत की अनसुनी ऐतिहासिक इमारतें (Unheard Historical Buildings of India): भारत हमेशा से ही अपनी विविध संस्कृति के लिए जाना जाता रहा है। भारतीय उपमहाद्वीपों में आक्रमणकारियों और पर्यटकों का एक व्यापक इतिहास रहा है। इस दौरान कई संरचनाएं इन लोगों द्वारा बनवाई गईं। इस समय की अधिकांश सरंचनाओं को ध्वस्त कर दिया गया या नए शासकों के शासनकाल में इनका नवीनीकरण किया गया।
लेकिन आज इनका संरक्षण न किया जाने और ध्यान न दिए जाने के कारण ये सभी संरचनाएं अपनी विशेषता खो रही हैं। तो आइए हम आपको भारत की कुछ ऐसी ऐतिहासिक इमारतों के बारे में बताएंगे, जिनके बारे में पर्यटक बहुत कम जानते हैं लेकिन हर किसी को अपने जीवन में कम से कम एक बार यहां जरूर जाना चाहिए।
भारत की अनसुनी ऐतिहासिक इमारतें (Unheard Historical Buildings of India)
बिदर किला – Bidar fort
डेक्कन प्लेटो में स्थित बिदर को सिटी ऑफ व्हिसपरिंग मॉन्यूमेंट्स के नाम से जाना जाता है। इस बहमनी स्मारक का निर्माण 15 वीं शताब्दी में हुआ था। जब सुल्तान अल्ला उद्दीन बहमन ने अपनी राजधानी को गुलबर्गा से बिदर में स्थानांतरित किया था।
बीदर के किले के बारे में रोचक तथ्य: (Interesting facts about Bidar Fort in Hindi)
•• बिदर किला के वर्तमान स्वरूप का निर्माण 1428 ई. के आसपास प्रसिद्ध बहमनी शासक अहमद शाह द्वारा करवाया गया था।
•• बिदर किला को पुन: बनाने में लगभग 6 सालो का वक्त लगा था, इसका निर्माण वर्ष 1428 ई. में शुरू किया गया था जिसे बाद में वर्ष 1432 ई. तक बनाकर पूर्ण कर दिया गया था।
•• बिदर किला को सुरक्षा की दृष्टि से एक पठार पर बनाया गया था, जिसकी ऊंचाई लगभग 670 मीटर है।
•• बिदर किला के पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य की प्राचीन राजधानी कल्याणी स्थित है, जो इससे लगभग 40 मील (64 कि.मी.) की दूरी पर स्थित है।
•• बिदर किला की संरचना इस्लामिक शैली में की गई थी, इस किले के अंदर लगभग 30 से अधिक स्मारक मौजूद है।
•• बिदर किला को भारत के सबसे खतरनाक किलो में से एक माना जाता है, क्यूंकि इसके भीतर की संरचना एक समचतुर्भुज आकार के अभिन्यास वाली है।
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•• बिदर किला भारत के सबसे विशाल किलो में से एक है, जिसकी कुल लंबाई 1.21 कि.मी. है और चौड़ाई लगभग 800 मीटर है।
•• बिदर किला की बाहरी सुरक्षा दीवार लगभग 2.5 कि.मी. तक लंबी हैं, जिसके भीतर किले कई प्रमुख इमारत, मेहराब, मंडप, मस्जिदे, गेट और उद्यान शामिल हैं।
•• बिदर किला में लगभग 7 प्रवेश द्वार है, जिनमें सबसे प्रमुख है मंडु द्वार, कलमाद्गी द्वार, दिल्ली द्वार, कल्याणी द्वार और कर्नाटक द्वार।
•• बिदर किला की दीवार पर लगभग 37 बुर्ज हैं, जिनकी सलाखों में धातु से बनी तोपों को एक साथ जोड़ा गया है।
सरखेज रोजा – Sarkhej Roza
अहमदाबाद के पास मकरबा गांव में स्थित सरखेज रोजा एक मस्जिद और मकबरा है। यह कभी सूफी संस्कृति का प्रसिद्ध केंद्र हुआ करता था। यहां पर सूफी संत शेख अहमद गंज बख्श रहते थे। सरखेज रोजा को अहमदाबाद का एक्रोपोलिस कहा जाता है। 15वीं शताब्दी में महमूद बेगडा ने इस मकबरे के आसपास एक महल और बीच में एक झील का निर्माण करवाया था।
वर्षों बाद यह किला और मकबरा जर्जर अवस्था में खत्म हो रहे थे। बाद में गुजरात सरकार और पुरातत्व विभाग ने इस स्थल का नव निर्माण किया है। सरखेज रोज़ा घूमने के लिए एक अच्छा स्थल है। यहाँ लोग पिकनिक मनाने भी आते हैं।
सलीम सिंह की हवेली – Salim Singh Ki Haveli
जैसलमेर में स्थित सलीम सिंह की हवेली को वर्ष 1815 में एक मौजूदा हवेली की नींव पर बनाया गया था। जैसलमेर किले के पास पहाड़ियों के पास स्थित हवेली के छत का निर्माण मयूर के आकार के रूप में किया गया था। एक विशिष्ट शैली में निर्मित इमारत में कई दिलचस्प विशेषताएं हैं। इस इमारत की एक और विशेषता 38 बालकनी है, जिनमें से हर का अपना अलग डिजाइन है।
अगर आप सलीम सिंह की हवेली जिसे मोती महल भी कहा जाता है घूमने जाते हैं तो राजस्थान के अन्य भागों के विपरीत, जैसलमेर में तेल और मक्खन में लिपटा हुआ खाना यहां ज्यादा मिलता है। यहां के पारंपरिक भोजन में दाल बाटी चूरमा, मुर्ग-ए- सब्ज, पंचधारी लड्डू, मसाला रायता, पोहा, जलेबी, घोटुआ, कड़ी पकौडा शामिल हैं।
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मार्बल पैलेस – Marble Palace
मार्बल पैलेस कोलकाता में राजा राजेंद्र मालिक द्वारा बनवाया गया था। यह एक ऐसी संरचना है, जो बंगाली वास्तुकला को दर्शाती है। महल को पूरी तरह से सफद पत्थरों से बनाया गया है और इसके सामने एक सुंदर बगीचा है। यहां आने वाले पर्यटकों को शाही परिवार के वारिस दौरे पर ले जाते हैं। बता दें कि वारिस अभी भी महल में रहते हैं।
मार्बल पैलेस (Marble Palace Kolkata) की नाम से भी अधिक इस पैलेस की वास्तुकला प्रसिद्ध है। संगमरमर की दीवारें, फर्श, मूर्तियां आदि के लिए ये पैलेस बेहद ही फेमस है। इस पैलेस के अंदर मौजूद एंटीक झूमर, यूरोपियन एंटीक, ग्लास, पुराने पियानो आदि इस पैलेस को और भी खास बनाते हैं। कहा जाता है कि जगह-जगह लगभग 126 से भी अधिक अलग-अलग पत्थरों का भी इस्तेमाल किया गया है इस पैलेस के निर्माण में
मलूटी मंदिर – Maluti temple
झारखंड के छोटे से शहर मलूटी में 70 से ज्यादा टेराकोटा मंदिर हैं, जो इतिहास की छाप छोड़ते हैं। यह भारत के लुप्त हो चुके ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। इस मंदिर को सख्त प्रबंधन की जरूरत है। ये मंदिर बाज बसंत राजवंश के तहत बनाए गए थे, जो हिंदू महाकाव्यों के दृश्यों को दर्शाते हैं।
कांच महल – Kanch Mahal
कांच महल अकबर के मकबरे के पास स्थित आगरा में चौकोर आकार का कांच महल है। इसके निर्माण में टाइल वर्क होने के कारण इसे कांच महल कहा जाता है। महल को मूल रूप से शाही महिलाओं के निवास के रूप में बनाया गया था। लेकिन बाद में इसे शिकारगाह के रूप में इस्तेमाल किया गया। यह इमारत एक शानदार बगीचे से घिरी हुई है। यहां आने वाले पर्यटक संरचना की सुंदरता से मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह पाते।
बोलगट्टी पैलेस – Bolgatty Palace
बोलगट्टी पैलेस केरल में एक ऐसा महल है, जिसे किसी भारतीय शासक ने नहीं बनवाया था। कहा जाता है कि इसका निर्माण डचों ने 1974 में किया था। माना जाता है कि इसमें एक अमीर जमीदार रहता था। आज इस गुमनाम महल के चारों तरफ बगीचा, स्वीमिंग पूल और आयुर्वेद केंद्र है।
बीते कल की कहानी अपने आप में ऐतिहासिक होती हैं। अगर आप इतिहास को पसंद करते हैं, तो यहां बताई गईं भारत की इन स्मारकों की यात्रा जरूर करें। यकीनन यहां की यात्रा आपके लिए दिलचस्प और यादगार बन जाएगी। ये सभी भारतीय धरोहर है तथा इसकी जनकारी सबको होनी चाहिए।
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