Caste Census (जातीय जनगणना): मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार शनिवार 7 जनवरी से राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण का पहला चरण शुरू करने जा रही है। जाति आधारित सर्वेक्षण का कार्य 21 जनवरी को समाप्त होगा।

Caste Census (जातीय जनगणना)

पहले चरण में राज्य के सभी घरों की संख्या की गणना की जाएगी और इसे दर्ज किया जाएगा। जबकि दूसरे चरण का सर्वेक्षण 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक किया जाएगा। इस दौरान घरों में रहने वाले लोगों, उनकी जाति, उप-जातियों, सामाजिक-आर्थिक स्थिति आदि को एकत्र किया जाएगा। वहीं, दूसरे चरण का सर्वेक्षण 31 मई, 2023 को समाप्त हो जाएगा।

जाति आधारित सर्वेक्षण

इस संबंध में शुक्रवार को अपनी समाधान यात्रा के दौरान मीडियाकर्मियों से बात करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि “सर्वेक्षण राज्य में जातियों और समुदायों पर एक विस्तृत रिकॉर्ड होगा। यह उनके विकास में मदद करेगा”। इससे पहले 2 जून 2022 को राज्य मंत्रिमंडल ने परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की जानकारी एकत्र करने सहित राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण की सर्वदलीय मांग को मंजूरी दी थी।

Caste Census: बिहार में 7 जनवरी से शुरू होगा जाति आधारित सर्वेक्षण, जानिए इससे जुड़ी सभी बातें

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार विधानसभा ने पहले भी जाति आधारित सर्वेक्षण के पक्ष में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया था। जिसके बाद भाजपा सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने देश में जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। हालांकि केंद्र सरकार की तरफ से इस मांग को खारिज कर दिया गया था। ऐसे में हमने अपने दम पर जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है।

आपको बता दें कि ऐसा कहा जाता है कि बिहार के जातिवादि समाज में जाति आधारित सर्वेक्षण अनिवार्य रूप से दो सत्तारूढ़ दलों जद (यू) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को सबसे अधिक मदद करेगा। क्योंकि उनके पास सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े जाति समूहों का समर्थन है। ऐसे में सर्वेक्षण रिपोर्ट से उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन में मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सर्वेक्षण के पहले चरण में 5.24 लाख सर्वेक्षक, ज्यादातर शिक्षक, कृषि समन्वयक, रोज़गार सेवक, विकास मित्र, मनरेगा कर्मचारी, आशा कार्यकर्ता, जीविका दीदी, सभी 38 जिलों (शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों) में 2.58 करोड़ घरों की गणना करेंगे।

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सर्वेक्षण में राज्य में 12.70 करोड़ की अनुमानित आबादी को शामिल किया जाएगा। इसके बाद सारी जानकारी एक पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सर्वेक्षण करने वाले सभी कार्यकर्ताओं को पहले ही प्रशिक्षण दे दिया गया है।

सर्वेक्षण के दूसरे चरण में सर्वेक्षणकर्ता प्रत्येक घर का दौरा करेंगे और परिवार के सदस्यों की जाति, उनकी सामाजिक-आर्थिक प्रोफ़ाइल, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं आदि के बारे में जानकारी एकत्र करेंगे। सर्वेक्षण फॉर्म में 26 कॉलम होंगे। दूसरे चरण के सर्वेक्षण का डाटा भी पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।

वहीं, सर्वेक्षण करने वाले सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) के एक अधिकारी ने कहा कि पंचायत से जिला स्तर तक आठ स्तरीय सर्वेक्षण के तहत एक मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से डेटा को डिजिटल रूप से एकत्र किया जाएगा। नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर अधिकारी ने बताया कि “ऐप में जगह, जाति, परिवार में लोगों की संख्या, उनके पेशे और वार्षिक आय के बारे में भी प्रश्न होंगे।”

अधिकारी ने यह भी बताया कि सर्वेक्षण टीम की तरफ से “उन परिवार के सदस्यों की भी जानकारी ली जाएगी जो राज्य के बाहर रह रहे हैं। यह राज्य में जाति और समुदायों के प्रोफाइल पर एक विस्तृत सर्वेक्षण होगा और इससे उनके विकास में मदद मिलेगी।

आपको बताएं की सुरुआति दिनों में जब इसे कराई जाने को लेकर चर्चा चल रही थी तब सवर्ण समाज द्वारा इसका काफी विरोध किया गया था। भूमिहार समाज के नेता सबसे ज्यादा जातीय जनगणना का विरोध कर रहे थे। लेकिन सभी के विरोध के बाबजुद सरकार इसे कराने जा रही है।

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